Monday, July 16, 2012

तितलियों के लिए त्रासदी वर्ष

नमीयुक्त ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव किस हद तक पड़ सकता है? क्या आपने कभी इस बात का अंदाजा लगया है? वैज्ञानिकों के मुताबिक, 2012 इसी तरह का एक वर्ष है.

इंसानों के लिए न सही, लेकिन तितलियों के लिए यह बहुत बुरा साबित होने वाला है. उनका कहना है कि 36 वर्षो के बाद ऐसा होगा, जब 2012 में नमीयुक्त ग्रीष्मकालीन ऋतु की वजह से तितलियों की आबादी बुरी तरह प्रभावित होगी. बटरफ्लाई संरक्षण संस्था के प्रमुख के मुताबिक, नमीयुक्त मौसम के कारण तितलियों की कई प्रजातियां पहले ही खत्म हो चुकी हैं. उनका कहना है कि इस तरह के मौसम तितलियों के प्रजनन, उन्हें उड़ने और अंडा देने से रोकता है.

इसका असर उनकी आबादी वृद्धि पर पड़ता है. 2007 में व्यापक बाढ़ के कारण भी उन्हें काफी नुकसान हुआ था. गौरतलब है कि इस साल के अप्रैल महीने को सदी का सबसे नमीयुक्त महीना माना गया. यही वह महीना होता है जब नर और मादा तितलियां एक साथ रहते हैं. यह उनेक प्रजनन के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण होता है. इसी दौरान उन्हें भोजन, नर तितली और अंडे देने के लिए जगह की तलाश के लिए निकलना पड़ता है.

लेकिन, नमीयुक्त वातावरण होने के कारण वे पूरा महीना पत्तियों के बीच छिपी रहती हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि बात सिर्फ इसी साल की नहीं है. अगले वर्ष भी उनकी कई प्रजातियां खत्म हो सकती हैं, क्योंकि उनकी उड़ान अवधि के दौरान वर्षा कम हो रही है. यही अवधि उनके प्रजनन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती है. एक आंकड़े के मुताबिक, साल 2010 की अपेक्षा 2011 में लगभग 11 फीसदी तितलियों की संख्या में कमी आयी है, जो कि चिंता की बात है.

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