Tuesday, December 18, 2012

नासा ने ध्वस्त किए चंद्रमा पर भेजे गए उपग्रह


चांद पर नज़र रखने के लिए अंतरिक्ष में भेजे गए नासा के दो उपग्रहों को जानबूझ कर चांद की सतह पर ध्वस्त कर दिया गया है.

'ऐब्ब' और 'फ्लो' नाम के ये अंतरिक्ष यान करीब एक साल तक चांद की परिक्रमा करते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को मापने का काम करते रहे हैं. ऐसा उसके आंतरिक हिस्सों के बारे में पता लगाने के लिए किया गया था.
वॉशिंग मशीन के आकार के इन दोनों उपग्रहों ने चांद की शानदार और विस्तृत तस्वीरें खींच कर भेजीं थीं. लेकिन बाद में इसका ईंधन कम हो जाने पर नासा के वैज्ञानिकों ने इन अंतरिक्ष यान को चांद के उत्तरी ध्रुव के पास के एक चट्टान पर ध्वस्त कर दिया.
जिस जगह पर इस यान को ध्वस्त किया गया है उसे अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अमरीकी महिला सैली राइड के नाम पर रखा गया है, जिनकी इस साल की शुरुआत में मौत हो गई थी. सैली राइड की संस्था ही इन अंतरिक्ष यानों के कैमरे को संचालित कर रही थी.

टक्कर

नासा द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद अब इस उपग्रह के अनियंत्रित होकर अपोलो लैंडिंग साइट जैसी ऐतिहासिक महत्व वाली जगहों पर गिरने का अंदेशा खत्म हो जाता है.
इस उपग्रह का नासा के रेडियो ट्रैकिंग सिस्टम से ग्रीनिच मानक समयानुसार (जीएमटी) रात 10.30 बजे के आसपास संपर्क टूट गया था. चांद की सतह पर होने वाले गुरुत्वाकर्षण के विभिन्न रुपों के नक्शे ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में कई बदलाव ला सकते हैं.
अमरीका स्थिर मैसाच्वेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की मुख्य जांचकर्ता प्रोफेसर मारिया ज़ुबेर के अनुसार, ''इन यानों ने चांद पर पड़े कई पर्दे को हटाया है. ये आनेवाले समय में चांद की उत्पत्ति से जुड़ी कई जानकारियों का स्रोत साबित होगा.''
ग्रेल के नाम से जाने जाने वाले दोनों उपग्रह एक दूसरे से करीब तीन किलोमीटर की दूरी और 30 सेकेंड के अंतराल पर चट्टान से टकराए थे. जिस समय ये दोनों उपग्रह ध्वस्थ हुए थे उस समय उस चट्टान के आसपास घुप्प अंधेरा था.
ईंधन खत्म होने के कारण पृथ्वी पर कंट्रोल रुम में बैठे वैज्ञानिकों के लिए उनको देख पाना थोड़ा असंभव था. इन्हीं दोनों उपग्रहों के तर्ज पर चंद्रमा पर भेजे गए नासा के एक और टोही विमान को भी जल्द ही क्रैश करने की योजना है.

योगदान

ग्रेल मिशन ने अब तक की सभी अंतरिक्ष परियोजनाओं की तुलना में किसी भी ग्रह के सबसे बेहतर क्वालिटी के मानचित्र भेजे हैं जिसमें पृथ्वी भी शामिल है. उपग्रहों द्वारा गुरुत्वाकर्षण में जिस फर्क को मापा गया है वो चंद्रमा के असामान्य संरचना के बारे में बताती है.
इसके स्पष्ट उदाहरण चांद की सतह पर मौजूद बड़ी पर्वत श्रृंखलाएं और गहरी घाटियां हैं. इतना ही नहीं चांद के भीतरी हिस्से में मौजूद चट्टानों में भी अनियमितता पाई गई है.
हालांकि इन जानकारियों का विशलेषण अभी नहीं किया गया है लेकिन वैज्ञानिकों को चांद के संबंध में कुछ बेहद ही रोचक और नई जानकारियां मिली हैं.
प्रोफेसर मारिया ज़ुबेर के अनुसार, ''जो सबसे महत्वपूर्ण बात हमें पता चली है वो ये हैं कि चांद की बाहरी परत जितना हमने सोचा था उससे कहीं ज्य़ादा पतली है और यहां मौजूद घाटियों के कारण इसका बाहरी आवरण हट गया है. ये सभी तथ्य चांद के साथ पृथ्वी की संरचना को समझने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि हम ऐसा मानते हैं कि पृथ्वी और चांद की संरचना कई मायनों में एक जैसी है.''
गुरुत्वाकर्षण की इन जानकारियों से ये भी पता चलता है कि चांद को अपनी उत्पत्ति के शुरुआती वर्षों में कई तरह की दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा है जिस कारण उसकी ऊपरी परत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. ऐब्ब और फ्लो को चांद पर कई गहरी दरारों के सबूत भी मिले हैं, जो वहां मलबों के नीचे पड़े मिले हैं.
कुछ सौ किमी लंबे ये बांध चांद की सतह से काफी गहरे तक जाते हैं जो चांद के प्रारंभिक विस्तार के बारे में बताता है. ग्रेल द्वारा जमा किए जानकारियों से चांद की उत्पत्ति की पूरी जानकारी मिलने में मदद मिल सकती है.
कुछ वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि हो सकता है कि पृथ्वी पर दो चंद्रमा भी रहे हों जो बाद में मिलकर एक हो गए. हालांकि ग्रेल द्वारा इकट्ठा की गई जानकारियों इसे झुठला सकती हैं.