Monday, July 16, 2012

महंगाई से बचने के लिए करते हैं डाइटिंग

कई बार बातों ही बातों में हम किसी गंभीर सवाल का भी मजाकिया जवाब देकर माहौल को खुशनुमा बना देते हैं. कई बार ऐसा करना लोगों को अच्छा लगता है, तो कई बार यह आदत भी बन जाती है. अगर आपको सवाल का जवाब आता है, तो ठीक और यदि आप बाल की खाल निकालने में हैं माहिर, तो और भी अच्छा.

आइवीएफ तकनीक से क्या समझते हैं?

आइवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन. नि:संतान दंपतियों के लिए इस तकनीक को एक वरदान के रूप में देखा जा रहा है. इस तकनीक के जरिए महिला में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है. इस महत्वपूर्ण तकनीक की खोज रॉबर्ट एडवर्डस ने की थी, जिसके लिए उन्हें चिकित्सा विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इससे जन्मे पहले बच्चे का नाम लुईस ब्राउन था, जिसका जन्म 25 जुलाई, 1978 को मैनचेस्टर में हुआ था.

आम बोलचाल की भाषा में आइवीएफ से जन्मे बच्चों को टेस्ट ट्यूब कहा जाता है.

रिकॉर्ड के मुताबिक पूरे देश में फिलहाल आइवीएफ के 400-500 के बीच क्लिनिक्स हैं और इनमें हर साल एक लाख दंपति आते हैं. आइवीएफ के लिए हेल्दी स्पर्म और एग डोनर्स की जरूरत होती है. हालांकि इस तकनीक से स्वस्थ बच्चे के जन्म को लेकर सवाल भी खड़े होते रहे हैं, लेकिन हाल के कुछ वर्षो में इसमें कई सुधार भी हुए हैं.

पिछले साल यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के वैज्ञानिकों की टीम ने एक नया सफल प्रयोग किया है, जिसमें बताया गया कि अब स्वस्थ बच्चे की मां बनने की संभावना कहीं ज्यादा हो गयी है. अब इस नयी तकनीक के जरिए बच्चा पाने के इच्छुक दंपती स्वस्थ भ्रूण का चयन कर सकेंगे. प्रत्येक दंपती के लिए आइवीएफ प्रयोगशाला में आठ से दस भ्रूण विकसित किए जाते हैं. उसके बाद भ्रूण द्वारा ग्लूकोज अवशोषण के आधार पर इनमें से एक भ्रूण का चयन कर महिला के गर्भाशय में स्थांतरित कर दिया जाता है. आइवीएफ तकनीक से बच्चे के जन्म पर दो लाख रुपये से अधिक का खर्च आ सकता है.


और ये रहे इसी सवाल पर आपके मजेदार जवाब

आइवीएफ का अर्थ है- इंस्टीट्यूट ऑफ वेरी फीस. इसके तहत संस्थानों में दाखिले के नाम पर मोटे डोनेशन वसूले जाते हैं.
मोमिना, जमशेदपुर

इस तकनीक से जनसंख्या नियंत्रित की जाती है.
अंकित, रांची

इवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का नया वजर्न है आइवीएफ, जिससे फर्जी वोटों को पकड़ा जाता है.

मोनू, गया

डाइटिंग क्यों करते हैं?

आपने कई लोगों को अपना वजन कम करने के लिए डाइटिंग करते देखा या सुना होगा. यानी मोटापा कम करने के लिए अपने आहार को कम कर देना. डाइटिंग को लेकर सभी के अपने-अपने राय हो सकते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो खाना कम खाने से वजन नहीं घटता. आप क्या खाते हैं, यह बात आपके वजन को घटाने और बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होती है.

अमेरिका के हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञों का इस बारे में कहना है कि सिर्फ कैलोरी पर ध्यान देने से कोई स्लिम नहीं हो जाता. सही वजन कायम रखने के लिए पौष्टिक और उच्च गुणवत्ता का भोजन करना चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि वजन कोई एक दिन में नहीं बढ़ता, बल्कि इसे बढ़ने में कई साल लगते हैं.


हममें से ज्यादातर लोग शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को कम करने के लिए केवल एक उपाय जानते हैं और वह है डाइटिंग करना. उन्हें लगता है कि जिस तरह अनाप-सनाप खाने-पीने से चर्बी बढ़ जाती है, उस के विपरीत खाना-पीना छोड़ दें तो चर्बी कम भी हो जायेगी. लेकिन विशेषज्ञों की राय में भूखा रहने से शरीर को मिलनेवाली ऊर्जा की सप्लाई बंद हो जाती है.

यह भी उतना ही खतरनाक है, जितना जरूरत से ज्यादा अनावश्यक चर्बी का बढ़ना. डॉक्टरों की राय में वजन कम करने के लिए बेहतर है संतुलित आहार लेना और व्यायाम की आदत डालना. आहार में दूध, फल-सब्जियों को शामिल करना और ज्यादा-से-ज्यादा पानी पीना बेहतर है.
और ये रहे इसी सवाल पर आपके मजेदार जवाब

कमरतोड़ महंगाई से बचने के लिए हमें डाइटिंग करना पड़ता है.

हिमांशु शेखर (गया), मनिषा (मीरगंज), संजीव (मुजफ्फरपुर)

फाइटिंग से पहले डाइटिंग बेहद जरूरी प्रक्रिया है, जिससे दुश्मनों को हराया जाता है.

योगेश कुमार, भागलपुर

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